एलर्जी में आयुर्वेद कितना कारगर

एलर्जी में आयुर्वेद कितना कारगर

एलोपैथी चिकित्‍सक भले ही एलर्जी के इलाज में योग या आयुर्वेद को महत्‍व न दें मगर आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों का कहना है कि एलर्जी में खुद एलोपैथी एक हद तक ही कारगर है। इसके मुकाबले भारतीय चिकित्‍सा पद्धति इसमें ज्‍यादा कारगर है। महर्षि आयुर्वेद से जुड़े आयुर्वेदाचार्य अच्युत कुमार त्रिपाठी एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज जैन से सहमत हैं कि सांस की एलर्जी में दवा से बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता है।

वैद्य अच्‍युत त्रिपाठी के अनुसार सांस की एलर्जी धूल भरी हवा,  अधिक बोलने, दिन में अधिक सोने,  अधिक जागने,  नए वर्षा जल में भींगने और  गर्म-सर्द होने से होता है। इसमें मरीज को लगातार छींके आती हैं। सबसे अधिक तकलीफ रात में सोने के समय होती है। उस समय लागतार खांसी होती है और बुखार आता है।

त्रिपाठी के अनुसार इस एलर्जी में श्वास नली में सूजन आ जाती है। गर्मी की प्रकृति वाले लोगों को यह जल्दी होती है। एलर्जी होने के बाद एक-दो दिन तक किसी भी दवा से दूर ही रहना चाहिए और इसका प्राकृतिक इलाज करना चाहिए। भाप लेना चाहिए, गर्म पानी से भीगा तौलिया सिर पर रखना चाहिए। तुलसी, दालचीनी, सौंठ आदि की चाय पीनी चाहिए।

उनके अनुसार खास बात यह है कि एंटीबायोटिक भूलकर भी नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे कफ सूख जाता है। इस एलर्जी में एक गिलास गर्म दूध में हल्दी, सौंठ, काली मिर्च डालकर सेवन करने से श्वास नली की सूजन कम होती है। इसके अलावा काली मिर्च, सौंठ, पीपल का पाउडर दिन में दो-चीन बार लेना चाहिए। दुबले लोगों को हल्दी मिले दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने से फायदा होता है।

वैद्य त्रिपाठी कहते हैं कि एलर्जी में इस बात का खास ध्‍यान रखना चाहिए कि किस चीज से आपको एलर्जी हो रही है। त्‍वचा से संबंधित एलर्जी अगर हो रही है तो उसमें प्राकृतिक चिकित्‍सा फायदेमंद हो सकती है।

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